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साम्राज्यत्वं प्रियं दत्वा पुत्रवत् परिपालयेत् ॥ ६॥ श्री गणपति, गुरुदेव, गौरि के चरणों में नमन कर मैं शिवरूप श्री भैरवदेव का चालीसा रचता हूं ॥ इसका जप कवच से पहले और बाद में ११ या २१ बार करें ॥ नैॠत्यां क्रोधनः पातु उन्मत्तः पातु पश्चिमे । तस्य नाम तु https://xyzbookmarks.com/story16500424/indicators-on-bhairav-kavach-you-should-know

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