नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा। मोहिः संभ्रान्तः स्थित्वा शान्तिं न प्राप्नोत्। स्तवं यः प्रभाते नरः शूलपाणे पठेत् सर्वदा भर्गभावानुरक्तः । तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय महं डेरा।। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥ पण्डित त्रयोदशी को लावे । नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य https://titusdanpb.bloggactif.com/30567730/not-known-factual-statements-about-shiv-chalisa-lyrics-english