भावार्थ – हे हनुमान जी ! यदि कोई मन, कर्म और वाणीद्वारा आपका (सच्चे हृदय से) ध्यान करे तो निश्चय ही आप उसे सारे संकटों से छुटकारा दिला देते हैं। जपत निरन्तर हनुमत बीरा ॥२५॥ सङ्कट तें हनुमान छुड़ावै । बल बुधि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार ॥ ॥चौपाई॥ https://howardv740bcc7.59bloggers.com/profile