मैं हूँ दर्द-ए-इश्क़ से जाँ-ब-लब मुझे ज़िंदगी की दुआ न दे जब तेरे होते हुए भी किसी और ने तसल्ली दी मुझे। तन्हाई में बैठूं तो इल्ज़ाम-ए-मुहब्बत। जिंदगी में इंसान उस वक्त बहुत टूट जाता है, किसी की साँसों में समाकर उसे तन्हा नहीं करते। आप खुद ही अपनी अदाओं https://youtu.be/Lug0ffByUck